Financial crises, Madhya Pradesh

मध्यप्रदेश में वित्तीय हालातों के चलते कई योजनाओं पर चली कैंची

मध्य प्रदेश में नई सरकार के गठन के साथ ही बढ़ते कर्ज और प्रदेश की खराब वित्तीय हालातों के चलते कई योजनाओं पर कटौती की तलवार लटक गई है। वित्त विभाग ने कई विभागों को योजनाओं को आगे चलाने से रोकते हुए निर्देश जारी किया है की पहले अनुमति लेने के बाद ही किसी भी योजना में वित्त वितरण किया जाए। वित्त विभाग ने 38 विभागों की अलग-अलग योजनाओं पर अनुमति लिए बिना किसी तरह का खर्च करने या भुगतान करने पर रोक लगा दी है।

मध्य प्रदेश की वित्तीय स्थिति चिंताजनक है, राज्य का कर्ज 3.31 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है, जो सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 35.5% है। यह कर्ज 2022-23 में 3.06 लाख करोड़ रुपये के करीब था। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राज्य सरकार को संचालित योजनाओं के लिए और कर्ज की जरूरत है, वित्तीय हालातों के चलते कई योजनाओं को चलाना आसान नहीं समझ आ रहा है लिहाजा वित्त विभाग ने वर्तमान स्थिति को देखते हुए सभी विभागों को राजस्व संग्रहण का लक्ष्य हासिल करने का तो निर्देश दिया ही है, साथ ही कई विभागों की योजनाओं पर वित्तीय रोक लगा दी गई है।

इन योजनाओं पर पड़ेगा असर: सूत्रों की मानें तो वित्त विभाग ने नगरीय प्रशासन विभाग की कई योजना सहित धार्मिक न्यास एवं धर्मस्य विभाग की योजनाओं पर वित्तीय रोक लगा दी है. इसका असर सीधे तौर पर महाकाल परिसर विकास योजना, मेट्रो ट्रेन के अलावा तीर्थ दर्शन योजना पर पड़ने का अनुमान है. वहीं बगैर अनुमति के राशि खर्च न करने की भी हिदायत दी गई है. सूत्रों के अनुसार सरकार पर सबसे ज्यादा भार पूर्व से संचालित छात्राओं को स्कूटी देने, लाड़ली बहनाओं को राशि देने, साढ़े चार सौ रुपए में गैस सिलेंडर देने, पंचायत कर्मचारी का वेतन बढ़ाने, संविदा कर्मचारियों के मानदेय में इजाफा साथ ही कालेज के अतिथि विद्वानों का मानदेय निर्धारित किए जाने से सरकार की वित्तीय स्थिति पर बुरा असर पड़ा है. इसके अलावा अपंजीकृत निर्माण मजदूरों को अंत्येष्टि एवं अनुग्रह राशि देने की योजना भी समाप्त कर दी गई है।

गृह विभाग के अंतर्गत थानों के सुदृढ़ीकरण, परिवहन विभाग की ग्रामीण परिवहन नीति के क्रियान्वयन, खेल विभाग के खेलो इंडिया एमपी, सहकारिता विभाग की मुख्यमंत्री ऋण समाधान योजना, लोक निर्माण विभाग की विभागीय संपत्तियों के संधारण, स्कूल शिक्षा विभाग की नि:शुल्क पाठ्य सामग्री के प्रदाय, प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को लेपटाप प्रदाय, एनसीसी के विकास एवं सुदृढीकरण, जनजातीय कार्य विभाग टंट्या भील मंदिर के जीणोद्धार, उच्च शिक्षा विभाग की योजना, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के नए आईटी पार्क की स्थापना, विमानन विभाग की भू- अर्जन के लिए मुआवजा, ग्रामीण विकास विभाग की पीएम सड़क योजना में निर्मित सड़कों का नवीनीकरण और महिला एवं बाल विकास विभाग की आंगनवाड़ी केंद्रों के लिए भवन निर्माण सहित अन्य योजनाओं में व्यय बिना वित्त विभाग की अनुमति के नहीं किया जा सकेगा।

डॉ मोहन यादव की सरकार की कोशिश है की पहले राज्य की वित्तीय हालात सुधारे जाये उसके बाद ही किसी भी योजना में खर्च किया जाये।