निमाड़ को पुरे भारत में आध्यात्मिक पहचान दिलाने वाले, अद्भुत सादगी से भरे हुए, सदैव भक्तों पर अपने वात्सल्य की वर्षा करने वाले, परम भगवद् भक्त पूज्य संत शिरोमणि 1008 सियाराम बाबा का देहपरिवर्तन का हृदयविदारक समाचार प्राप्त हुआ। संसार को मोक्ष का सन्मार्ग दिखाने वाले महासंत आज “मोक्षदा एकादशी” तथा “गीता जयंती” को सुबह 6.10 बजे ब्रम्हमुहूर्त में परमज्योति में विलीन हो गए।
नर्मदा तट स्थित भट्टयान बुजुर्ग में संत सियाराम बाबा का 95 साल की उम्र में निधन हो गया, वो पिछले 10 दिनों से बीमार भी चल रहे थे। उनका अंतिम संस्कार शाम 4 बजे आश्रम के पास किया जाएगा। मूलतः गुजरात के बाबा यहां कई सालों से नर्मदा भक्ति कर रहे थे। बाबा का जन्म 1933 में गुजरात के भावनगर में हुआ था। 17 साल की उम्र में उन्होंने आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का फैसला किया था।
बाबा ने पेड़ के नीचे बैठकर की तपस्या की, कई सालों तक गुरु के साथ पढ़ाई की और तीर्थ भ्रमण किया। वे 1962 में भट्याण आए थे। यहां उन्होंने एक पेड़ के नीचे मौन रहकर कठोर तपस्या की। वहीं आश्रम पर मौजूद सेवादारों ने बताया कि उनकी दिनचर्या भगवान राम व मां नर्मदा की भक्ति से शुरू होकर यही खत्म होती थी। वे अपने भक्तों से केवल 10 रूपये ही लेते थे और जब उनकी भूमि के डूब में आने के कारण सरकार से 2.5 करोड़ के करीब मिले तो उन्होंने उसे दान में दे दिया और अपने पास कुछ बचा के नहीं रखा। अपने भक्तों को वे चाय का प्रसाद देते थे जिसे वे खुद अपने हाथ से बनाते थे।
पूज्य संत श्री सियाराम बाबा जी के प्रभुमिलन का समाचार अत्यंत दुःखद है। परमपिता परमात्मा पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में विशेष स्थान देवे।
🌺🌹🌺विनम्र श्रद्धांजलि 🌹🌺🌹
🙏🙏ॐ शान्ति शान्ति शान्ति 🙏🙏

संपादक: नवनीत माहेश्वरी
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