Gyanvapi Varanasi: ज्ञानवापी केस में बड़ा फैसला, हिंदुओं को मिला पूजा का अधिकार

हिंदुओं को मिला पूजा का अधिकार, ज्ञानवापी केस में बड़ा फैसला, व्यास जी तहखाने में होगी अब पूजा

वाराणसीः काशी ज्ञानवापी से जुड़े अलग-अलग मामलों की सुनवाई वाराणसी जिला न्यायालय में लगातार जारी है. इसी कड़ी में आज यानी कि बुधवार को ज्ञानवापी परिसर से जुड़े सोमनाथ व्यास जी के तहखाने में नियमित पूजा-पाठ को लेकर वाराणसी जिला कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने व्यास जी तहखाने में हिंदुओं को पूजा करने का अधिकार दे दिया है. कोर्ट ने साथ में यह भी निर्देश दिया है कि ७ दिन के भीतर वहां पूजा कराने की व्यवस्था की जाए.बी

मंगलवार को हिंदू-मुस्लिम पक्ष ने इस मामले को लेकर अपनी-अपनी दलील पेश की थी, जहां हिंदू पक्ष ने तहखाने में प्रवेश के साथ पूजा-पाठ करने के लिए आदेश मांगा था। वहीं मुस्लिम पक्ष ने इस पर आपत्ति जताई थी। बता दें कि करीब तीन महीने तक आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के सर्वे के दौरान तहखाने में साफ-सफाई हुई थी। कोर्ट द्वारा आज दिए गए फैसले पर हर किसी की निगाह टिकी हुई थी. बता दें कि १९९३ से व्यास जी तहखाना में बंद पड़ा था।

न्यायालय के आदेश के बाद हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि जिला प्रशासन को सात दिन के अंदर पूजा कराने के लिए इंतजाम करने को कहा गया है। उन्होंने इस फ़ैसले की तुलना राम मंदिर में ताला खोलने के आदेश से की है और कहा है कि ये इस मामले का टर्निंग प्वाइंट है।

हिंदू पक्ष कुछ समय से ज्ञानवापी परिसर में मौजूद एक तहखाने में पूजा का अधिकार मांग रहा था. यह तहखाना मस्जिद परिसर में है और हिन्दू पक्ष का दावा है की १९९३ तक व्यास तहखाने में पूजा होती थी। अपनी याचिका में हिंदू पक्ष ने दावा किया है, “परिसर की दक्षिण दिशा में स्थित तहखाने में मूर्ति की पूजा होती थी. दिसंबर १९९३ के बाद पुजारी श्री व्यास जी को ज्ञानवापी के बैरिकेड वाले क्षेत्र में घुसने से रोक दिया गया. इस वजह से तहखाने में होने वाले राग, भोग आदि संस्कार भी रुक गए.” हिंदू पक्ष का दावा है कि राज्य सरकार और ज़िला प्रशासन ने बिना किसी कारण तहखाने में पूजा पर रोक लगा दी थी.

हिंदू पक्ष यह भी दावा करता है, “ब्रितानी शासनकाल में भी तहखाने पर व्यास जी के परिवार का कब्ज़ा था यह भी दावा है कि तहखाने का दरवाज़ा हटा दिया गया है और हिंदू धर्म की पूजा से संबंधित सामग्री, प्राचीन मूर्तियां और धार्मिक महत्व की अन्य सामग्री तहखाने में मौजूद है और वे वापस पूजा चालू करना चाहते है।

१७ जनवरी २०१४ को हिंदू पक्ष की मांग को मानते हुए जिला न्यायालय द्वारा वाराणसी के डीएम को तहखाने का रिसीवर बनाया गया था और कहा था कि वादग्रस्त संपत्ति को मजिस्ट्रेट अपनी अभिरक्षा में और सुरक्षित रखें तथा उसकी स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होने दें.

सोमनाथ व्यास ने १९९१ में ज्ञानवापी की मिलकियत के दावे वाला जो वाद दाखिल किया था, उसमें लगे नक़्शे में भी दक्षिण में “तहखाने का स्वामित्व वादी संख्या २” के नाम से नज़र आता है. सोमनाथ व्यास की याचिका के नक़्शे में इस तहखाने के ठीक सामने नंदी को दिखाया गया है और उसकी दाईं ओर गौरीशंकर को. बाईं तरफ बारादरी है जिसके परिसर में व्यास जी की गद्दी, एक कुंआ, पीपल का पेड़ और विनायक को दिखाया गया है. और महाकालेश्वर को बारादरी से सटा हुआ दिखाया है. नक़्शे में ज्ञानवापी परिसर के इर्द गिर्द सारी ज़मीन पर हिंदू पक्षकारों का कब्ज़ा दिखाया गया है. पंडित सोमनाथ अपने आप को व्यास ज्ञानवापी परिसर में मौजूद गद्दी के पंडित बताते थे और अदालत में उन्होंने भगवान विश्वेश्वर का सखा बन कर ज्ञानवापी की ज़मीन पर एक टाइटल सूट (मिलकियत का मामला) दाखिल किया था. उनका दावा था कि हिंदू यहाँ पूजा करते हैं और उसे आदि विश्वेश्वर का मंदिर मान कर उसकी परिक्रमा करते हैं.

सोमनाथ व्यास का दावा था कि क्योंकि कि तहखाना उनके कब्ज़े में है तो इससे यह साबित होता है कि पूरे प्लाट नंबर ९१३० (ज्ञानवापी परिसर) पर उनका कब्ज़ा है. और क्योंकि तहखाने की ज़मीन, उसके नीचे की मिटटी उनके कब्ज़े में है तो उस तर्क से उसके ऊपर मौजूद ढांचे (मस्जिद) पर मालिकाना हक़ भी उनका और हिंदुओं का है. ७ मार्च २००० को पंडित सोमनाथ व्यास का निधन हो गया और उसके बाद इस मामले में वादी नुमनेर 5५और अदालत में मुक़दमा लड़ने वाले वकील विजय शंकर रस्तोगी स्वयंभू भगवान आदि विश्वेश्वर के सखा बन कर मुक़दमा लड़ते आ रहे हैं.

मस्जिद पक्ष का कहना है कि प्लाट नंबर 9130 में ‘ज्ञानवापी मस्जिद हज़ारों सालों से चली आ रही है तहखाना भी मस्जिद आलमगीरी (ज्ञानवापी) का हिस्सा है.’ अपनी दलील में मस्जिद पक्ष १९३७ के दीन मोहम्मद के फैसले का ज़िक्र करते हुए कहता है कि उस मुक़दमे के फैसले में यह घोषित किया गया कि मस्जिद, उसका प्रांगण और उसके साथ संलंग्न भूमि हनीफा मुस्लिम वक्फ़ की है और मुसलमानों को उसमें पूजा का अधिकार है. दीन मोहम्मद के मामले में लगे हुए नक़्शे में भी व्यास तहखाने के सामने नंदी (नंदेश्वर) और उनके बगल में गौर शंकर को दर्शाया गया है. और बाई तरफ बारादरी और ज्ञानवापी कूप का परिसर है जिसमें एक कुंआ और पीपल का पेड़ भी मौजूद हैं.

व्यास जी का तहखाना एएसआई की जांच के दायरे में नही था लेकिन एएसआई ने ज्ञानवापी के दूसरे तहखानों की जांच की और उसके बारे में अपने निष्कर्ष दिए. एएसआई के मुताबिक़, मस्जिद में इबादत के लिए उसके पूर्वी हिस्से में तहखाने बनाए गए और मस्जिद में चबूतरा और ज़्यादा जगह भी बनाई गई ताकि इसमें अधिक से अधिक लोग नमाज़ पढ़ सकें. एएसआई कहता है कि पूर्वी हिस्से में तहखाने बनाने के लिए मंदिर के स्तंभों का इस्तेमाल किया गया. एन२ नाम के एक तहखाने में एक स्तंभ का इस्तेमाल किया हुआ जिस पर घंटियां, दीपक रखने जगह और शिलालेख मौजूद हैं और एस२ नाम के तहखाने में मिट्टी के नीचे दबी हुई हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां भी बरामद हुईं.

मुस्लिम समुदाय की ओर से इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में चुनौती देने की बात की जा रही है.